लगातार बंद होते स्कूलों के बीच पुरानी पैंशन की मांग जोरों पर
(Report - uttarakhandhindisamachar.com)
पलायन होने से स्कूल बंद हुए या स्कूलों की निम्न गुणवत्ता वाली शिक्षा को देखकर हुआ पलायन ?
देहरादून - उत्तराखंड प्रदेश में हर शिक्षा सत्र में प्राइमरी विद्यालय बंद हो रहे हैं और कई बंद होने की कगार में हैं लेकिन प्रदेश के शिक्षक पुरानी पेंशन बहाल करने की मांग कर रहे हैं । शिक्षा विभाग स्कूलों के बंद होने का मुख्य कारण पलायन बता रहा है । लेकिन लोग कहते हैं पलायन का मुख्य कारण खराब शिक्षा व्यवस्था है । प्रदेश के लोगों का कहना है , बंद होने वाले सरकारी विद्यालयों में निम्न गुणवत्ता की शिक्षा परोसने के बाद अविभावकों को अपने बच्चों का भविष्य खतरे में नजर आने लगा औऱ उन्हें अपने नौनिहालों के भविष्य के खातिर पलायन करना पड़ा । अगर कहा जाय कि स्कूलों में निम्न गुणवत्ता की शिक्षा परोसने पर लोगों ने पलायन का रूख अपनाया औऱ ऐसे ही तमाम विद्यालय पलायन का मुख्य कारण बने तो ऐसा कहना गलत नहीं होगा । आज गांव के गांव खाली हैं क्योंकि उन स्थानों पर सरकार बेहतर शिक्षा मुहैय्या नहीं करा पाई । अगर स्कूलों के बंद होने का मुख्य कारण पलायन होता तो सुदूरवर्ती नेपाल सीमा से लगे चम्पावत जिले के पाटी ( Pati ) विकासखंड मुख्यालय में दर्जनों गांवों के लोग अपने बच्चों के बेहतर भविष्य की तलाश के लिए आए हुए हैं । लेकिन यहाँ का प्राइमरी विद्यालय ठप है , जबकि यहाँ से पलायन नहीं बल्कि यहाँ पलायन होकर लोग आए हैं । ऐसे ही उत्तराखंड के अधिकांश जिलों में प्राइवेट स्कूल फल - फूल रहे हैं लेकिन सरकारी विद्यालय ठप पड़ रहे हैं । ऐसा इसीलिए हो रहा कि सरकारी विद्यालयों की शिक्षा की गुणवत्ता की अपेक्षा प्राइवेट विद्यालय अच्छी शिक्षा प्रदान कर रहे हैं । अगर ऐसा कहा जाय कि सरकार द्वारा अच्छी गुणवत्ता की शिक्षा प्रदान न करने की दशा में पलायन हुआ है तो ये गलत नहीं होगा । अब कई सवाल उठ रहे हैं अगर बंद हो रहे स्कूलों में अच्छी शिक्षा मिलती तो लोग प्राइवेट विद्यालयों की ओर क्यों दौड़ लगाते ? अगर स्कूलों में व्यवस्थाएं नहीं थी तो शिक्षकों ने उच्चाधिकारियों से पत्राचार क्यों नहीं किया ? आंखिर क्यों उस वक्त काली पट्टी नहीं बांधी गई ? क्यों उस वक्त धरना प्रदर्शन नहीं किया गया ? आज की तरह कार्यबहिष्कार उस वक्त क्यों नहीं किया गया जब स्कूलों में व्यवस्थाएं नहीं थी ? उत्तराखंड में लगातार बंद हो रहे स्कूलों की संख्या बढ़ती जा रही है और इसके बावजूद शिक्षकों की पुरानी पेंशन की मांग कितनी जायज है ? क्या सरकार तक शिक्षा विभाग द्वारा स्कूलों की स्पष्ट जानकारियां नहीं पहुंची ? जो इस प्रकार सैंकड़ों स्कूल बंद हो चुके हैं और बंद होने की कगार में हैं ।