नेताजी आते रहे और नेताजी जाते रहे , लेकिन इस गांव तक सड़क नहीं पहुंची
(Report - uttarakhandhindisamachar.com)
कुमाऊं - सरकार चाहे विकास के लाख दावे कर ले लेकिन उत्तराखंड हिंदी समाचार आपको जमीनी हकीकत दिखाता है । कुमाऊं में तमाम ऐसे स्थान हैं जहाँ आज भी सड़क नहीं है । कुमाऊं के इस गांव के लोग आजाद तो हो गए लेकिन संघर्ष की बेड़ियां इनके पावों में साफ झलकती हैं । वीडियो का लिंक खबर के अंत में दिया गया है । आज हम आपको उस गांव की समस्या दिखा रहे हैं , जहां के लोग सिर से टोपी गिरने वाली चढ़ाई को पार करके सड़क तक पहुंचते हैं । हम उस गांव की बात कर रहे हैं जहां आज भी मरीजों को डोली के सहारे सड़क तक पहुंचाया जाता है । हम बात कर रहे हैं कुमाऊं के चम्पावत जिले के पाटी विकासखंड अंतर्गत मौनकाण्डा के सिमली गांव की । यहाँ 40 परिवार आज भी सड़क के अभाव में जीवन यापन कर रहे हैं । हम आपको बता दें ये अंबेडकर गांव है और यहाँ के लोग सड़क सुविधा के लिए बरसों से संघर्ष कर रहे हैं । यहाँ सड़क के नाम पर चुनाव में वोट लेने नेताजी आते रहे और नेताजी जाते रहे लेकिन आज तक सड़क नहीं आ पाई । इस गांव के लोगों का भी सपना है कि वो भी घर से गाड़ी में सफर कर सकें । यहाँ 800 मीटर सड़क की कटिंग भी हुई लेकिन उसके बाद कटिंग का कार्य क्यों बंद हुआ ये गांव वालों को आज तक मालूम नहीं पड़ा । यहाँ लगभग 40 परिवार रहते हैं , मरीज डोली से सड़क तक पहुंचते हैं , घर का सामान सिर में और कंधे में ले जाते हैं , यहाँ बच्चे गाड़ी में बैठने के लिए नहीं बल्कि गाड़ी देखने जिद्द करते हैं , फिर भी यहां के लोगों ने अपनी मिट्टी और अपनी जन्मभूमि से इन परिस्थितियों में भी पलायन नहीं किया । लेकिन अब इस गांव के लोगों का मूड कुछ बदला - बदला नजर आ रहा है । अब यहाँ के लोग भी गांव से पलायन करने की सोच रहे हैं । अगर इस गांव से पलायन होता है तो इतिहास इस बात की गवाही देगा कि यहाँ आजादी के सात दशक बाद भी सड़क नहीं पहुंची थी । और ये पलायन उत्तराखंड सरकार के पलायन रोकने के दावे पर बट्टा साबित होगा । इसके साथ - साथ मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के मॉडल जिले चम्पावत की परिकल्पना पर भी बट्टा साबित होगा । वीडियो देखने के लिए नीचे दिया गया लिंक टच करें -
https://youtu.be/CpozW7dDkok?si=UnXMm9sU6gIRnZnv