ये कैसी हितकारी योजना जिसमें पशुपालक पकड़ रहे हैं सिर
(Report - uttarakhandhindisamachar.com)
सवाल : योजना अच्छी है फिर भी कर्ज में डूब रहे हैं किसान
● एनसीडीसी ( नेशनल कोऑपरेटिव डेवलेपमेंट कॉरपोरेशन ) योजना तो है बेहतर , लेकिन सही किर्यान्वयन न होने से कर्ज में डूबते जा रहे हैं किसान
● योजना के तहत स्थानीय स्तर पर गायें क्रय करने पर किसान की सुधरेंगी हेल्थ एवं वेल्थ
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रिपोर्ट - Uttarakhandhindisamachar.com
चम्पावत ( Champawat ) - राज्य सरकार द्वारा किसानों की आय को दोगुना करने के प्रयासों में उस समय ग्रहण लग जाता है जब किसी योजना के किर्यान्वयन की समीक्षा न होने से केवल धन के खर्च को ही योजना की सफलता मान लिया जाता है । जिसका परिणाम यह निकल रहा है कि तकदीर बदलने की चाह में किसान अपने हेल्थ व वेल्थ दोनों खोते जा रहे है । एनसीडीसी योजना भले ही पांच वर्ष पूर्व संचालित हुई जिसमें पहले दुधारू पशु क्रय करने में सामान्य वर्ग को पच्चीस और एससी वर्ग को पैंतीस फीसदी सब्सिडी देकर किसान तीन से पांच गाय क्रय कर सकता था। अब इसमें बदलाव कर सामान्य वर्ग के लिए पचास फीसदी जबकि एससी वर्ग के साथ सामान्य महिलाओं के लिए पचहत्तर फीसदी सब्सिडी में दो या तीन गाय क्रय की जा सकती है । लेकिन गायों की खरीद यूपी , पंजाब , राजस्थान सहित अन्य बाहरी स्थानों से अनिवार्य है । बाहरी राज्यो से क्रय करने का परिणाम की बात में चम्पावत जिले का ही उदाहरण ले लिया जाय , यहाँ कम्फर्ट जोन से आने वाली गायों के लिए न तो वैसी गौशाला , न ही हरे चारे , बाड़े व नहाने की सुविधा होती है औऱ ना ही उनके लिए मौसम । फलस्वरूप जो गाये स्थानीय स्तर पर तीस हजार रुपये में बिक रही है उसे बाहर से लाने पर उनकी दुगुनी कीमत चुकानी पड़ रही है । भले ही बरेली से गाय खरीदते समय 16 लीटर दूध दे रही हो लेकिन यहाँ आने पर उसका दूध आधा रह जाता है । यहाँ के वातावरण में अपने आपको समाहित न कर पाने के कारण उसका दूध घटता ही रहता है । कुछ समय बाद गाय कफन ओढ़ लेती है और दुगुनी आय की आस करने वाला किसान हाथ मलते रह जाता है ।
■ सरकारी अमले का कहना है कि स्थानीय स्तर पर केवल खूंट बदले जाते है जबकि इस तथ्य को सरासर नजर अंदाज किया जाता है कि सेक्स सोलटेट सिमन से एआई कराने के बाद पैदा होती जा रही बछियाए कहाँ जाएगी ? जिले में ऐसे सैकड़ो पशुपालक है जिनके पास एक गाय व बछड़े के लिए ही गौशाला है वहाँ अब घर में ही दूसरी गाय व बछड़ा तैयार हो गया है जिससे पशुपालकों के सामने विकट समस्या पैदा हो गयी है । इन गायों की बिक्री स्थानीय स्तर पर खरीद की जाती तो पशुपालकों का उत्साह बढ़ता योजना के तहत जो बाहर से गाये आयी है उससे जिले में दुध की मात्रा में कोई असर नहीं पड़ा अलबत्ता किसान बेचारा कर्ज में डूब गया । यदि गायें स्थानीय स्तर पर खरीदी जाती तो वास्तव में किसानों की आय दुगुनी हो सकती है । जहाँ तक गाय का खूंट बदलने का सवाल आता है उसके लिए उस पशुचिकित्सकों को जिम्मेदार माना जाना चाहिए जो सारी जानकारी होने के बावजूद गाय का प्रमाणपत्र जारी कर रहे हैं ।
■ ऐसे तो किसान बर्बाद होते रहंगे - क्षेत्रीय विधायक खुशाल सिंह अधिकारी का कहना है कि चम्पावत जिले में उन्नत गोवंश की इतनी तादाद है कि हम कई पहाड़ी जिलों को उसकी आपूर्ति करने में सक्षम है । यदि किसानों की गाय बिकने लगे तो उनका इस ओर रुझान बढेगा । एनसीडीसी योजना में बाहरी राज्यो से गाय लाने की अनिवार्यता के हाल यहाँ का हर किसान भुगत रहा है । इस स्कीम में काफी सुधार की आवश्यकता है ताकि असल मायनों में किसानों की आय दोगुनी हो सके ।