वीडियो : आंखिर क्यों इन बच्चों को नहीं मिल रहा है इनका हक
(Report - uttarakhandhindisamachar.com)
पिथौरागढ़ ( Pithoragarh ) - उत्तराखंड सरकार चाहे विकास के लाख दावे कर ले , लेकिन इस वीडियो ने उत्तराखंड सरकार के विकास के दावे को खोखला साबित कर दिया । वीडियो खबर के अंत में दिया गया है । भारत की आजादी के 77 साल बाद भी भारत के कई हिस्सों में बुनियादी सुविधाओं की कमी हमें सोचने पर मजबूर करती है । आज भी उत्तराखंड के तमाम गावों के लोग विकास का असली मतलब नहीं जानते हैं ? उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले मुनस्यारी से एक ऐसी तस्वीर सामने आई है , जिसे देखकर हर कोई हैरान है । इस वायरल वीडियो ने उत्तराखंड सरकार के विकास के दावे को झूठा साबित कर दिया है । वीडियो का लिंक खबर के अंत में दिया गया है । इसके साथ - साथ सरकार के बेटी बचाओ - बेटी पढ़ाओ स्लोगन पर भी बट्टा लगा दिया है । उत्तराखंड के पत्रकार त्रिभुवन चौहान ने यहां जाकर जब देखा कि राइंका लुमती की दो छात्राएं रस्सी वाली ट्रॉली के सहारे नदी पार कर रही हैं । यह स्थिति न केवल खतरनाक थी बल्कि प्रशासनिक उपेक्षा का एक शर्मनाक उदाहरण है । वायरल वीडियो में देखा जा सकता है कि स्कूल जाने के लिए बच्चियों को कैसे मेहनत करनी पड़ ही है । छात्राएं पहले रस्थी खींचती हैं और फिर उस रस्सी वाली ट्रॉली पर बैठती हैं , तब जाकर स्कूल पहुंचती हैं । बताया जा रहा है , ये व्यवस्था सालों से चली आ रही है , लेकिन यहां आज तक पुल नहीं बनाया गया । रस्सी और ट्रॉली जैसे साधनों से नदी पार करना वहां के लोगों के लिए एक आम बात है , लेकिन इसका मतलब अपनी जान को जोखिम में डालना है । ये तस्वीरें विकास के उन दावों पर सवाल खड़े करती है , जिन्हें आप सुनते और देखते आ रहे हैं । ये खतरनाक वीडियो एक और गंभीर पहलू की ओर इशारा करता है । वीडियो का लिंक खबर के अंत में दिया गया है । इन बच्चियों का संघर्ष सिर्फ शिक्षा के लिए है , वे जोखिम उठाकर स्कूल जाती हैं , जो उनके सपनों और भविष्य का प्रतीक है , लेकिन क्या यह उचित है कि शिक्षा प्राप्त करने के लिए उनकी जान दांव पर लगी हो ? सरकार शिक्षा और विकास को प्राथमिकता देने के दावे करती है , हालांकि , इस प्रकार की घटनाएं यह बताती हैं कि विकास और बजट का वितरण असमान है । पत्रकार त्रिभुवन चौहान द्वारा की गई इस कवरेज का वीडियो शोसल मीडिया में आग की तरह फैला । सरकार के नुमाइंदों तक भी ये खबर पहुंची लेकिन यहां पुल बनाने के बदले स्कूली बच्चों को आर - पार कराने के लिए रस्सी खींचने में शिक्षकों की ड्यूटी लगा दी गई । अब यहां शिक्षक रस्सी खींचेगे लेकिन पुल बनाने की प्रक्रिया फिर भी शुरू नहीं की जाएगी । वीडियो का लिंक खबर के अंत में दिया गया है । अगर ऐसे ही हालात रहते हैं तो ये उत्तराखंड सरकार की साख पर बट्टा साबित होगा ।वीडियो देखने के लिए नीचे दिए लिंक पर टच करें -
https://youtu.be/IJ6oYAt7MA4?si=hgydtlMud-zez37N