खुद बचाने होंगे जंगल , कोई बाहर से नहीं आएगा जंगल बचाने
(Report - uttarakhandhindisamachar.com)
यदि समय रहते जंगलों को दावाग्नि से नहीं बचाया गया तो मानव तरस जाएगा एक - एक बूंद पानी के लिए ।
वन पंचायत सरपंचों ने अपने पंचायती जंगलों को बचाने के लिए लिया सामूहिक संकल्प ।
चम्पावत ( Champawat ] - जिले में वनों को दावाग्नि से बचाने के लिए जनजागरूकता कार्यक्रम व गोष्ठियां के माध्यम से प्रयास जोरों पर चल रहे हैं । इसके साथ - साथ वन विभाग तैयारियों को परखने के लिए आग की घटनाओं की मॉक ड्रिल भी कर रहा है । जिले के वन विभाग लोहाघाट एवं जिला प्रशासन के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित कार्यशाला में बताया गया कि यदि हमने वनों को आग से बचाने का प्रयास स्वयं नहीं किया तो वह दिन दूर नहीं जब हमारी आने वाली पीढ़ी एक - एक बूंद पानी के लिए तरस जाएगी । कार्यशाला में शीतलाखेत मॉडल की उपयोगिता पर विस्तार से चर्चा करते हुए गजेंद्र पाठक ने बताया कि किस प्रकार हिमालयी क्षेत्र में जंगल सिकुड़ने के कारण पर्यावरणीय परिस्थितियां पैदा होती जा रही हैं , उनका कहना था कि अनादि काल से वनों का मनुष्य से रिश्ता रहा है । जब तक हम एक - दूसरे के पूरक बने रहे तब तक सब ठीक - ठाक चल रहा था लेकिन आज परिस्थितियां एकदम बदल चुकी हैं । पिछले 45 वर्ष के दौरान पर्यावरण परिस्थितियों में आए बदलाव का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि जहां जल स्रोत आधे रह गए हैं , वहीं मौसम चक्र में बदलाव के कारण असमय ही बुरांश के फूल खिलने लगे हैं । लोहाघाट क्षेत्र में जहां पहले डिलीशियस सेब से बाग लदे रहते थे आज उसका नामोनिशान तक मिट चुका है । उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि , यदि समय रहते वनाग्नि एवं वन संरक्षण के प्रति हमारा दृष्टिकोण नहीं बदला तो हम भावी पीढ़ी के लिए हरे - भरे जंगलों के स्थान पर रेगिस्तान छोड़ जाएंगे । इससे पूर्व कार्यशाला का शुभारंभ करते हुए ऊप प्रभागीय वनाधिकारी नेहा चौधरी ने कहा वन हमारे पूर्वजों की ऐसी धरोहर है कि जो पीढ़ी दर पीढ़ी हमको शुद्ध हवा एवं पानी देते आ रहे हैं , वनों में मनुष्य का हस्तक्षेप लगातार बढ़ने के कारण आज ऐसी परिस्थितियों पैदा हो गई हैं , जिसका हमारे स्वास्थ्य संस्कृति प्रकृति एवं परंपराओं पर इसका असर पड़ा है । उन्होंने कहा वनों को आय से जोड़ने के लिए पर्याप्त संसाधन उपलब्ध हैं , यदि उनका दोहन किया जाए तो प्रति व्यक्ति आय में इजाफा किया जा सकता है । इस अवसर पर वनक्षेत्राधिकारी दीप चंद्र जोशी ने ब्लाक अंतर्गत किए जा रहे कार्य पर प्रकाश डाला और काली कुमाऊं रेंज के वन क्षेत्राधिकारी राजेश जोशी ने बताया कि किस प्रकार हम च्यूरा प्रजाति के पौधों का रोपण कर उस से मौन पालन एवं उसके कई उत्पादों को अपने रोजगार से जोड़ सकते हैं । कार्यशाला पर सरपंच शंकर राम , मोहन चंद्र पांडे , बृजेश जोशी, निशांत पुनेठा ने भी चर्चा में भाग लिया । इस अवसर पर बाराकोट एवं लोहाघाट ब्लॉकों के सरपंचों के अलावा एसडीआरएफ एवं वनकर्मी मौजूद रहे ।पाटी विकासखंड में भी वनाग्नि नियंत्रण कार्यशाला का आयोजन -
पाटी विकासखंड के ब्लॉक सभागार में वन पंचायतों के सरपंचों की वनाग्नि नियंत्रण एवं आपदा प्रबंधन संबंधी विकासखंड स्तरीय कार्यशाला का संचालन वन उपप्रभागीय लोहाघाट के द्वारा किया गया । इस कार्यशाला में आर०ओ० देवीधुरा एवं आर०ओ० भिंगराड़ा के साथ संबंधी स्टाफ और चिकित्सा विभाग एवं एसडीआरएफ के सदस्य मौजूद रहे । वनाग्नि से वनों को बचाने के उद्देश्य से आयोजित इस कार्यशाला में विभागों द्वारा अग्नि नियंत्रण पर विस्तार से चर्चा की । इसके साथ - साथ शीतलाखेत मॉडल पर काम करने हेतु प्रेरित किया गया । वन विभाग द्वारा सभी सरपंचों को वनाग्नि से वनों को बचाने की शपथ दिलाई गई ।