मदर्स डे : माँ के प्यार , दुलार और त्याग का दिन
(Report - uttarakhandhindisamachar.com)
चम्पावत (Champawat) - माँ ईश्वर की ऐसी कृति है , जिसका कोई विकल्प नहीं है । माँ शब्द के पीछे ऐसा विराट संसार छुपा हुआ है , कि उसके प्यार व दुलार में ना कोई कपट होता है ना ही कोई शर्त । उसकी गोद का सहारा मिलने पर बच्चे को ऐसा सुरक्षा कवच मिलता है , कि वह थोड़ी ही देर में माँ के प्यार में खो जाता है ।मदर्स डे का महत्व
हालाकि माँ को याद करने के लिए वैश्विक स्तर पर मदर्स - डे मनाया जाता है , लेकिन भारत में जो लोग मानते हैं कि माता - पिता के क़र्ज़ से कभी उरण नहीं हुआ जा सकता , ऐसे परिवारों में तो 365 दिन ही मदर्स - डे होता है । वह परिवार वर्ष भर माँ के आँचल की छाया में रहते हुए अपना जीवन धन्य करते हैं ।
परिवार को बांधने की शक्ति माँ में ही है
परिवार को बांधने की शक्ति तो ईश्वर ने माँ को ही दी है । आईटीबीपी के हिमवीर वाइव्स वेलफेयर एसोसिएशन हव्वा की चीफ पैटरॉन अनुराधा सिंह कहती हैं कि , दुनिया में माँ का ऐसा विराट हृदय होता है कि , उसके रहस्य को बिना माँ बने नहीं जान सकते हैं ।
माँ का आँचल ही परिवार को बांधे रखता है
स्वस्थ सामाजिक संस्कारों में पली एवं आज एक बेटी की माँ बनी नेहा भट्ट कहती हैं कि माँ का आँचल ही पूरे परिवार को बांधे रखता है । यदि महिला सोलह संस्कारों व विचारों को अपने जीवन में लेकर चलती है तो उसका घर ही बद्रीनाथ बन जाता है ।
माँ की ममता की गहराइयों का नहीं है कोई अंत
देवीधुरा की गौ सेवक तुलसी बिष्ट कहती हैं कि माँ का प्यार , दुलार , ममता , वात्सल्य आदि गहराइया अनंत होती हैं। संस्कारों में पली बेटियां इतनी भाग्यशाली होती हैं कि , वह संसार में लाने वाली माँ एवं उसके बाद सांसारिक जीवन में प्रवेश करने पर वहाँ मिलने वाली सासू माँ का स्नेह पाकर उनकी सेवा करते हुए अपने को कुलदीप बना देती है ।
दूसरों की ख़ुशी में अपनी ख़ुशी तलाशती है दिया गुरुरानी
रीठासाहिब क्षेत्र की दिया गुरुरानी में ईश्वर ने ऐसा मातृत्व भाव भरा है , कि वह दूसरों की ख़ुशी में अपनी खुशियां तलाशती हैं । वह कहती हैं कि नारी भोग विकास की वस्तु नहीं है बल्कि उसका हर रूप हमारी रक्षा व सुरक्षा करता है ।
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