बात 31 साल पुरानी लेकिन मलाल आज भी
(Report - uttarakhandhindisamachar.com)
कुमाऊं - 31 साल बाद पिथौरागढ़ के तूफानी डीएम रहे डॉ अनूप पांडे को यहां के बदले परिवेश को देखते हुए हुई जितनी अपार खुशी हुई लेकिन उससे ज्यादा मलाल भी हुआ , क्योंकि जिस नैनी सैनी हवाई पट्टी की शुरुआत उन्होंने की थी उसमें आज भी नियमित उड़ानें शुरू नहीं हो पाई हैं । वर्तमान में चंपावत जिले का आवेश एवं परिवेश बदलने एवं मैदानी क्षेत्र से चंपावत एवं पिथौरागढ़ की दूरी कम होने के साथ यहां के लोगों के संघर्ष भरे जीवन में काफी बदलाव आया है । यह बात 31 वर्ष पूर्व पिथौरागढ़ जिलाधिकारी के रूप में अपनी विशिष्ट एवं तूफानी कार्य संस्कृति की छाप छोड़कर गए डॉ अनूप पांडे ने कही । उस समय चम्पावत , पिथौरागढ़ जिले की तहसील हुआ करती थी । यूपी के कुशल मुख्य सचिव एवं भारत के चुनाव आयुक्त पद से रिटायर हुए डॉ पांडे यहां अपने रिश्तेदार मायावती रोड स्थित आयकर के डीजी रह चुके आर सी शर्मा के यहां आए हुए हैं । उनका कहना है कि मैदानों में आज आग उगलती गर्मी ने अब पहाड़ से पलायन कर चुके लोगों को अपने पूर्वजों की माटी से जुड़ने के लिए विवश कर दिया है । आने वाले समय में भले ही वे गर्मियों में यहां पर्यटक के रूप में तीन चार महीने का समय बिताने के लिए आए , वह अपने घरों को ठीक-ठाक करने का इरादा बना चुके हैं । ऐसा उन्हें स्वयं यहां के मैदानी क्षेत्रों में रह रहे लोगों ने बताया । उन्हें इस बात का मलाल है कि जिस नैनी सैनी हवाई अड्डे का उन्होंने उद्घाटन करवाया था , आज तक उसमें नियमित उड़ने नहीं हो पा रही हैं । यहां आधारभूत सुविधाओं का विस्तार होने के साथ पर्यटन , धार्मिक पर्यटन एवं इको टूरिज्म के विकास व रोजगार के नए द्वार खुल गए हैं । डॉ पांडे ने विकास के साथ पानी एवं पेड़ों के संरक्षण पर विशेष जोर देते हुए कहा - इन दोनों का कोई विकल्प नहीं है । डॉ पांडे को तीन दशक पूर्व के अपने कार्यकाल की घटनाओं की पूरी याद है , जब उन्हें पाटी ब्लॉक में लंबे समय से चल रहे जन आंदोलन विरासत में मिले थे । जिसे उन्होंने आंदोलनकारीयो को यह कहकर आंदोलन समाप्त कर दिया कि , आपकी मांगे तो सभी पूरी हो गई हैं । नई मांगे क्या है , उन्हें बताइए ? तब एक माह में मांगों का असर धरातल में दिखाई देने लगा । वर्ष 1993 में आई भीषण आपदा का ऐसा समय था जब डॉ पांडे को स्वयं रोड खोलने के लिए बिल्चा व फावड़ा चला कर श्रमदान में लगे लोगों का उत्साह बढ़ाना पड़ा । तब संसाधनों की भारी कमी हुआ करती थी । सुबह रोज 15 से 20 किलोमीटर पैदल चलने वाले जिलाधिकारी को सुबह ग्रामीण अपने बीच पाते थे तो उनकी समस्या मौके पर ही हल हो जाया करती थी , जिससे उनकी ख्याति एक दम - खम वाले लोकप्रिय जिलाधिकारी के रूप में हो गई । जिन्हें आज भी उस समय के लोग दिल से याद करते हैं । पाटी ब्लॉक के उस वक्त के ब्लॉक प्रमुख लक्ष्मण सिंह लमगड़िया 1993 की आई आपदा का जिक्र करते हुए कहते हैं कि , जब इस ब्लॉक के 49 पुलों में से 47 पुल बह गए थे । ऐसे हालत में पीड़ित मानवता के लिए डॉ पांडे देवदूत बनकर आए । जिन्होंने पैदल चलकर ग्रामीणों को राहत देने के साथ उनकी भविष्य की उम्मीदों को भी जगाया ।
■ फोटो - अपनी पुरानी यादों को तरोताजा करते डॉ अनूप पांडे दाएं , साथ में आर सी शर्मा ।