अज़ब : गज़ब : अपनी नाकामी भी नहीं छुपा पा रहा है विभाग
(Report - uttarakhandhindisamachar.com)
रिपोर्ट - सूरज विश्वकर्मा
देहरादून - सरकार शिक्षा व्यवस्था को दुरुस्त करने औऱ विद्यालयों में उच्च गुणवत्ता की शिक्षा प्रदान करने सहित तमाम दावे करती है , लेकिन उत्तराखंड हिंदी समाचार आपको जमीनी हकीकत दिखाता है । आज हम उत्तराखंड शिक्षा व्यवस्था की उस दुखती रग पर हाथ रख रहे हैं जिसे कुरेदते ही शिक्षा विभाग तिलमिला उठता है । आज हम बात कर रहे हैं उत्तराखंड में लगातार बन्द हो रहे प्राथमिक स्कूलों की । प्रदेश के तमाम विद्यालय ठप पड़ चुके हैं औऱ सैंकड़ों बंद होने की कगार में हैं । शिक्षा विभाग कहता है , प्राथमिक स्कूलों का लगातार बंद होने का कारण पलायन है लेकिन शायद विभाग को मालूम नहीं कि उत्तराखंड से पलायन होने का मुख्य कारण बदहाल शिक्षा व्यवस्था है । शिक्षा विभाग की लापरवाही के चलते ब्लॉक मुख्यालयों के प्राइमरी विद्यालय भी बंद पड़ चुके हैं , जहां कई प्राइवेट विद्यालय फल - फूल रहे हैं । अधिकांश स्थानों पर उच्च गुणवत्ता की शिक्षा न मिल पाने के कारण स्कूल बंद हुए हैं । तमाम प्राथमिक स्कूलों के शिक्षकों की कार्यप्रणाली भी सवालों के घेरे में रही है क्योंकि अभिभावकों द्वारा सरकारी विद्यालयों से अपने बच्चों का एडमिशन पास के ही प्राइवेट विद्यालयों में करवाना इस बात को औऱ अधिक स्पष्ट बनाता है । प्राथमिक स्तर के सरकारी स्कूल ठप पड़ रहे हैं औऱ प्राइवेट स्कूलों में खचाखच बच्चे भरे पड़े हैं । इसका एकमात्र कारण , सरकारी स्कूलों में लापरवाही औऱ प्राइवेट स्कूलों में अनुशासन माना जा रहा है । उत्तराखंड के कुमाऊं में चम्पावत जिले को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी मॉडल जिला बनाने की बात कर रहे हैं लेकिन यहाँ शिक्षा पर विशेष कार्य नहीं हो पा रहा है । ऐसे हालातों में प्राथमिक शिक्षा को बिना मॉडल बनाए जिले को मॉडल बनाने की परिकल्पना बेमानी होगी । चम्पावत जिले के पाटी विकासखंड में कई प्राथमिक विद्यालय अब भूतों का अड्डा बन चुके हैं अर्थात अब ठप हो चुके हैं । दर्जनों की संख्या में ऐसे स्कूल हैं जो कुछ सालों में ठप पड़ जाएंगे । इस विकासखंड के 60 प्रतिशत से अधिक प्राइमरी विद्यालय ऐसे हैं , जिनमें छात्रसंख्या 20 से कम है । विकासखंड मुख्यालय पाटी में कई प्राइवेट स्कूल बच्चों को शिक्षा मुहैय्या करा रहे हैं लेकिन जिले का शिक्षा विभाग अपना एक प्राइमरी विद्यालय नहीं बचा पाया । यहाँ विकासखंड मुख्यालय में शिक्षा विभाग का किला ढह गया या यूं कह लीजिए कि शिक्षा विभाग यहाँ भी अपनी कमजोरियों औऱ नाकामियों को छुपाने में नाकाम रहा है । आंखिर क्या मॉडल जिले में प्राथमिक स्कूलों के दिन बहुरेंगे ?
क्या फिर से एक बार प्राथमिक स्कूलों में अभिभावक अपने बच्चों का एडमिशन करवाना चाहेंगे ?
शायद नहीं क्योंकि अब शासन / प्रशासन में इतनी शक्ति नहीं बची है कि , दुबारा इन विद्यालयों को गुलजार कर सकें ।