मॉडल जिले में हांफ गई करोड़ो से बनी लिफ़्ट पेयजल योजना
(Report - uttarakhandhindisamachar.com)
कुमाऊं - प्रदेश का मॉडल जिला यानी मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की विधानसभा का जिला । ये वही जिला है जिसे सीएम मॉडल जिला बनाने की बात करते हैं । यहाँ जिले में तमाम स्थानों पर पेयजल की भारी किल्लत देखने को मिल रही है । जिले के ब्लॉक मुख्यालय पाटी में पानी की भारी किल्लत देखने को मिल रही है । संबंधित विभाग वाहनों द्वारा पानी वितरित करवा रहा है लेकिन कस्बे वासियों को पानी के लिए जद्दोजहद करनी पड़ रही है । व्यवस्थाओं का आलम कुछ ऐसा है कि कोई भी इन हालातों में मॉडल जिले की परिकल्पना नहीं कर पाएगा । गर्मी का मौसम औऱ ऊपर से पानी की किल्लत , ऐसा लगता है मानो कस्बे वासियों की सरकार से दुश्मनी है , अगर ऐसा नहीं है तो फिर इनके साथ एक दशक से सौतेला व्यवहार क्यों हो रहा है । अगर इस गर्मी के सीजन में 2-3 बाल्टी पानी के लिए लाइन लगाना ही मॉडल जिले की परिभाषा है तो मुबारक हो ऐसा मॉडल जिला । गर्मी के मौसम में 2-3 बाल्टी पानी मिलने का मतलब ऊंट के मुंह में जीरा है । मुख्यमंत्री ने पानी की व्यवस्था को बेहतर करने के लिए शख़्त निर्देश दिए हैं लेकिन फिर भी जमीनी हालात ये हैं । सीएम के शख़्त निर्देश हैं कि मीडिया में छपी खबरों का संम्बधित विभाग संज्ञान लें औऱ व्यवस्थाएं बेहतर करें । इसके साथ - साथ खबर के संबंध में की गई कार्यवाही की सूचना संबंधित मीडिया संस्थान को भी दें लेकिन जिले के कर्मचारी औऱ अधिकारी इस बात पर अमल नहीं करते हैं । विकासखंड औऱ तहसील मुख्यालय वाले पाटी कस्बे में पानी के लिए हाहाकार मचा हुआ है , यहाँ करोड़ों की लागत से बनी लिफ्ट योजना 1 साल में ही फ्लॉप साबित हुई है । बड़ा सवाल तो ये है कि , ऐसा घटिया इंजीनियरिंग का कौन सा नमूना पेश किया गया कि एक साल में करोड़ों से बनी लिफ्ट पेयजल योजना फ्लॉप साबित हो गई । विभाग पिकअप से पानी वितरित कर रहा है । यहाँ के लोगों को जल वितरक प्रकाश बिष्ट औऱ वाहन चालक राकेश पाटनी राहत दे रहे हैं । दोनों लोग कड़ी मेहनत के बाद लोगों के गले तर करने की जुगत में लगे हुए हैं । दोनों लोग सुबह से लेकर देर रात तक पानी का वितरण समान रूप से कर रहे हैं । करोड़ो की लिफ्ट योजना फेल हो गई लेकिन प्रकाश औऱ राकेश पास हो गए हैं । चिलचिलाती गर्मी में करोड़ों की लागत से बनी लिफ्ट योजना फेल होने के बाद 7 किलोमीटर दूर मोटर चलाकर नदी से टैंक भरना फिर उस टैंक से पानी को पिकअप में पलटी करना औऱ फिर उसे बाजार लाकर बांटना किसी चुनौती से कम नहीं है । ये सिलसिला दिन में एक बार नहीं बल्कि सुबह से रात 9 बजे तक चलता है । क्या ऐसे मेहनती लोगों को विभाग औऱ सरकार द्वारा सम्मानित नहीं करना चाहिए ?
क्या इनके उत्साहवर्धन के लिए सरकार को पहल नहीं करनी चाहिए ?
क्या ऐसे जल वितरकों को विभाग द्वारा सम्मानित नहीं किया जाना चाहिए ?
करोड़ों की लिफ्ट योजना फ्लॉप हो जाय लेकिन ऐसे मेहनती लोगों को सम्मानित नहीं किया जाएगा क्योंकि सम्मानित करने के लिए दृढ़ इच्छाशक्ति औऱ काम के पीछे की मेहनत को पहचानने की शक्ति होनी चाहिए , जो न सरकार में दिखाई दे रही है औऱ ना ही शासन / प्रशासन में ।
जल निगम के द्वारा कस्बे के सभी टैंकों को लगातार भरा जा रहा है । सुबह करीब 4:45 बजे पानी लिफ्ट होना शुरू हो जाता है । जलनिगम द्वारा कस्बे के बिसारी , हॉस्पिटल , 2 टैंक जौलाड़ी , पाटी , छत्रीद्यार औऱ इंटर कालेज के टैंकों को लगातार भरा जा रहा है । जल वितरण की जिम्मेदारी जलसंस्थान की है - तारा देवी ( जल वितरक , जल निगम )
अब बड़ा सवाल तो ये है कि , अगर जल निगम लगातार टैंकों को भर रहा है तो कस्बे में पेयजल की किल्लत क्यों हो रही है ?