सड़क किनारे खाली बर्तनों का ढेर देखकर समझ जाइए आप...
(Report - uttarakhandhindisamachar.com)
अगर आपको राह चलते - चलते सड़क किनारे खाली बर्तनों का ढेर दिखाई दे , तो समझ जाइए आप मॉडल जिले चम्पावत में हो । जी हाँ , मॉडल जिले चम्पावत में पानी के लिए हाहाकार कम होने का नाम नहीं ले रहा है । यहाँ गांव - गांव पानी के लिए जूझ रहे हैं । सड़क किनारे खाली बर्तनों का ये ढेर चम्पावत जिले के धूनाघाट में लगा है । यहाँ पानी की गाड़ी आएगी तब लोगों के हलक तर होंगे । उत्तराखंड के अन्य जिले ये सोच रहे हैं कि , न जाने मॉडल जिले चम्पावत में कितना विकास हो रहा है । लेकिन इस तस्वीर को देखकर उन जिलों का ये भ्रम अब टूट चुका होगा क्योंकि जिस जिले में पेयजल के लिए संघर्ष करना पड़े तो उस जिले को मॉडल कहा जाना कितना तर्कसंगत होगा । धूनाघाट के लोग पानी तब पी पाएंगे जब पानी की गाड़ी पानी लेकर आएगी । चम्पावत जिले में ये स्थिति हर गांव की बनी हुई है । जिले के कस्बों में औऱ बाजारों में विभाग टैंकरों औऱ पिकअप से पेयजल आपूर्ति करने की कोशिस कर रहा है , लेकिन जिले के गावों की सुध लेने वाला कोई नहीं है । कई गांव ऐसे हैं जहां पानी के लाले पड़ चुके हैं ।
कहाँ है धूनाघाट-
चम्पावत जिले के लोहाघाट - देवीधुरा मोटरमार्ग में स्थित ये गांव स्वयं में इतिहास को समेटे हुए है । ये वही स्थान है जहां वर्ष 1901 में स्वामी विवेकानंद के कदम पड़े थे औऱ उन्होंने यहाँ विश्राम किया था । उन्होंने यहाँ लोगों से उस स्थान के विषय में वार्ता की थी । धूनाघाट उस जमाने का प्रसिद्ध गांव माना जाता था औऱ आसपास के गावों का केन्द्र हुआ करता था , लेकिन आज धूनाघाट सरकारों की बेरुखी का दंश झेल रहा है । जिस स्थान पर स्वामी विवेकानंद के कदम पड़े हों , आज वहाँ के लोगों को पानी के लिए जूझना पड़ रहा है ।