अगर सरकार करेगी ऐसा तो नहीं कटेंगे छोटे पेड़
(Report - uttarakhandhindisamachar.com)
उत्तराखंड - राज्य में लगातार छोटे पेड़ों के कटान की खबरें सामने आ रही हैं । इन पेड़ों के कटान में अधिकांश देवदार , चीड़ व अन्य पेड़ों के कटने की समस्या आम बनी हुई है । पेड़ों के कटान के बाद अब उत्तराखंड के पर्वतीय हिस्सो में भी गर्मी अपना कहर बरपा रही है । यहाँ भूमिगत जल की कमी होने लगी है औऱ वायु पॉल्यूशन भी लगातार बढ़ता जा रहा है ।
पहाड़ों के गावों में हर साल चढ़ती है पेड़ों की बलि -
उत्तराखंड के गावों में हर साल छोटे पेड़ों की बलि चढ़ती है । चाहे इसकी गिनती कभी किसी सरकारी आंकड़े में न हुई हो लेकिन आज उत्तराखंड हिंदी समाचार इन अनुमानित छुपे आंखड़ों को साझा कर रहा है । मान लीजिए उत्तराखंड के किसी गांव में 100 परिवार रहते हैं औऱ उन 100 परिवारों में से 80 परिवार पशुपालन व खेती से शौकिया तौर पर भी जुड़े हैं तो समझ लीजिए उस गांव में अमूमन प्रतिवर्ष 640 छोटे पेड़ों को काटा जाता है । क्या हुआ चौंक गए ना आप , कम से कम एक परिवार 4 पेड़ घास के लुट्टों व 4 पेड़ ककड़ी , लौकी , करेला व अन्य बेलों के लिए काटता है । ये आंकड़ा इससे अधिक भी बढ़ सकता है । कुल मिलाकर कहा जाय तो यही हाल हर उत्तराखंड के गांव का है । इन छोटे पेड़ों को काटना ग्रामीणों की जरूरत औऱ मजबूरी है क्योंकि उनके पास अन्य कोई विकल्प नहीं है । उत्तराखंड के गाँव प्रकृति से जुड़े हुए हैं औऱ प्रकृति पर निर्भर हैं । उन्हें जब जो चाहिए वो प्रकृति से लेते हैं । इन छोटे पेड़ों को कटने से रोकना है तो सरकार को ये करना होगा -
उत्तराखंड के गावों में प्रति परिवार को लुट्टों के लिए 4 अच्छी क़्वालिटी के पाइप औऱ बेल के लिए 4 डबल टी - हैंगर उपलब्ध कराने चाहिए , ताकि जंगलों से छोटे पेड़ों को कटने से रोका जा सके । अनुमान लगाइए अगर हर गांव 640 पेड़ों को बचाने लगेगा तो भविष्य में उत्तराखंड के वनों में कितनी बेतहाशा वृद्धि देखने को मिलेगी , जो अब तक का एक रिकॉर्ड होगा । उत्तराखंड का कौन सा जिला इस सुझाव पर सबसे पहले कार्य करेगा , जिसका अनुसरण कर अन्य जिले भी ऐसा कर सकेंगे ।