मान्यता : जब यहाँ भूखे व्यक्ति के लिए जलकुंड से निकलती थी तौली
(Report - uttarakhandhindisamachar.com)
मां अन्नपूर्णा के रुप मे पूजी जाती है बरदाखान की मां वरदायनी
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ख़बर - ( Uttarakhand Hindi Samachar )
चम्पावत ( Champawat ) - माँ भगवती के 108 रूपों में से एक रूप माँ वरदायनी का भी है । माँ वरदायनी का मन्दिर जिला चंपावत के बाराकोट ब्लॉक में बरदाखान नामक स्थान पर है । माना जाता है माँ बरदायनी के नाम से ही इस स्थान का नाम बरदाखान पड़ा होगा । कहा जाता है इस क्षेत्र के लोग माँ बरदायनी को अन्नपूर्णा के रूप में भी पूजते हैं । इसी मां के आशीर्वाद से इसके उपासकों के घर में अन्न की कभी कमी नहीं रहती है । इसीलिए इस क्षेत्र का हर किसान अपनी हर खेती का पहला अंश माँ बरदायनी को अर्पित करता है । लोक कथा के अनुसार जब भी कोई भूखा व्यक्ति यहाँ दर्शन के लिए आता था है तो पूजा के बाद जब वह वहां स्थित जल कुण्ड से जल ग्रहण कर प्रसाद के लिए वन्दन करता था तो इस जल कुण्ड से एक खीर की तौली निकलती थी । प्रसाद ग्रहण के बाद उस व्यक्ति को उस तौली को साफ कर उसी कुण्ड में डूबना होता था , एक दिन एक व्यक्ति ने ऐसा नहीं किया वह तौली तो जूठी छोड़ कर चला गया । बताया जाता है उस दिन के बाद उस कुण्ड से खीर की तौली निकलना बंद हो गया और उस स्थान पर एक पेड़ उग गया । इस प्रजाति का कोई दूसरा पेड़ इस क्षेत्र में कहीं पर भी नहीं है और अधिकतर लोगों को आज भी इस पेड़ का नाम पता नहीं है । अब यह पेड़ काफी बूढ़ा और रोग ग्रस्त हो गया है । जिसको उपचार की नितांत आवश्यकता है । आजकल इस कुण्ड (नौले) को अधिकतर बन्द ही रखा जाता है । जब इस कुण्ड को हाल में खुलवाया तो इसका जल इतना साफ था जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती है । कुंड खोलने के बाद उससे खीर की तौली तो नहीं निकली पर इसके अमृत रूपी जल को पी कर लोगों को आनन्द की अनभूति हुई जैसे वर्षों की प्यास बुझ गयी हो । अगर आप भी कभी यहां दर्शन को जाएं तो इस अमृत रूपी जल को अवश्य ग्रहण करें । एक और कथा के अनुसार जब भी कोई निःसंतान दम्पति शिवरात्री में सारी रात एक ही आशन पर बैठ कर जागरण करते हैं तो माँ बरदायनी एक साल के भीतर ही उसकी झोली को भर देती है । क्षेत्रीय सामाजिक कार्यकर्ता मनोज जोशी बताते हैं जो भी भक्तजन अपनी आस्था और विश्वास के साथ माँ बरदायनी मंदिर के दर पर आता है तो उसकी मनोकामना अवस्य पूरी होती हैं । मां वरदायनी मंदिर अपने सौंदर्य और एकांत स्थान के लिए काफी प्रसिद्ध है । चारों ओर वृक्षों की छाया से ऐसा लगता है मानो भक्तों को ऊर्जा प्रदान करती हो । उत्तराखंड हिंदी समाचार दावे के साथ कहता है कि अगर आप यहाँ आकर दर्शन औऱ कुंड का अमृत रूपी जल पीते हैं तो आपको मन की शांति औऱ तन की स्फूर्ति जरूर मिलेगी ।
फ़ोटो : जलकुंड के समीप स्थित पेड़ , इस प्रजाति के पेड़ आसपास के इलाके में अन्य नहीं हैं ।