कनकचौरी में अटूट आस्था के साथ पर्यटन भी बढ़ने लगा है अब
(Report - uttarakhandhindisamachar.com)
आस्था के साथ - साथ पर्यटन के लिए भी मुफ़ीद है कनकचौरी
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संवाद सहयोगी रुद्रप्रयाग Uttarakhand hindi samachar.com
रुद्रप्रयाग - आज हम आपको लेकर चलते हैं , विश्वास औऱ पवित्रता की उस ओर जहाँ भक्तों की अपने भगवान पर आस्था देखते ही बनती है ।
यहाँ पहुंचने के लिए 80 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं औऱ फिर आप एक ऐसे स्थान पर पहुंच जाते हैं जहाँ ईश्वर की अकौकिक सत्ता का आभाष होता है ।
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हम बात कर रहे हैं , उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले के कनकचौरी की जहां 3050 मीटर की ऊँचाई में एक पहाड़ी की चोटी पर स्थित भगवान भोलेनाथ औऱ माता पार्वती के पुत्र कार्तिकेय का मंदिर समर्पण भाव की मिशाल है ।
आसपास की अन्य चोटियों की अपेक्षा ये स्थान ऊंचा है , इसीलिए यहाँ से दिखाई देने वाला विहंगम दृश्य मन को शांति का अनुभव कराता है ।
हिन्दू पौराणिक कथाओं के अनुसार - भगवान शिव ने अपने दोनों पुत्रों भगवान गणेश औऱ भगवान कार्तिकेय से कहा जो पहले ब्रह्मांड के सात चक्कर लगाएगा , उसे पहले पूजा करने का सम्मान मिलेगा । ये सुनते ही भगवान कार्तिकेय अपने वाहन पर ब्रह्मांड के चक्कर लगाने के लिए निकल पड़े जबकि भगवान गणेश ने अपने माता - पिता के सात चक्कर लगाए ।
गणेश से प्रभावित होकर शिव ने उन्हें सबसे पहले पूजा का होने का सौभाग्य दिया ।
इस निर्णय पर भगवान कार्तिकेय गुस्सा हो गए औऱ श्रद्धा के रूप में अपने शरीर औऱ अपनी हड्डियों को अपने पिता यानी भगवान शिव को समर्पित कर दिया ।