उत्तराखंड के हर स्कूल में पॉक्सो अधिनियम पढ़ाना बेहद जरूरी - संतोष सामंत ( मानवाधिकार कार्यकर्ता )
(Report - uttarakhandhindisamachar.com)
नैनीताल ( Nainital ) - समाज की आवाज उठाने वाले मानवाधिकार कार्यकर्ता संतोष सामंत कहते हैं उत्तराखंड के स्कूलों का दायित्व है कि बच्चों को पॉक्सो अधिनियम 2012 के बारे में शिक्षित किया जाय । पोक्सो अधिनियम ( POCSO ) Protection of children from sexual offences 2012 बच्चों को यौन दुर्व्यवहार और शोषण से बचाने के लिए कानूनी प्रावधानों को मजबूत करता है । यह 18 वर्ष से कम उम्र के सभी बच्चों को यौन उत्पीड़न और अश्लील साहित्य के अपराधों से पूरी सुरक्षा प्रदान करता है । अभी भी उत्तराखंड के स्कूलों के अधिकतर बच्चों को POCSO का ज्ञान नहीं है । इसका सबसे बड़ा कारण है कि यह बच्चों के पाठ्यक्रम में नहीं है और अक्सर बहुत से शिक्षकों को भी POCSO का ज्ञान नहीं है । खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में यह बहुत चिंता का विषय है । विद्यालयों के पाठ्यक्रम में उसका कोई उल्लेख न होने के कारण जनजागरूकता की कमी के कारण बच्चों के साथ हो रहे शोषण की शिकायत नहीं हो पाती है । और अब उत्तराखंड में ऐसे मामलों की संख्या दिन - ब - दिन बढ़ती ही जा रही है । मानवाधिकार कार्यकर्ता संतोष सामंत कहते हैं , पॉक्सो अधिनियम की शिक्षा को पाठ्यक्रम में शामिल किया जाना चाहिए । बच्चों के साथ हो रहे शोषण को लगातार बढ़ता देख अब शिक्षा प्रणाली में सुधार की जरूरत है । बच्चों से जुड़े कानून बच्चों को पता होने चाहिए , ताकि हर विद्यार्थी अपने साथ हुए किसी भी प्रकार के शोषण या अपराध की शिकायत दर्ज कर सके । इसके साथ - साथ अपने आसपास के समाज में अन्य किसी के साथ घटित हो रहे अपराध की जानकारी होने पर गलत के खिलाफ आवाज उठा सके और समाज को जागरुक करने का कार्य कर सके । आज के इस दौर में स्कूली बच्चों को पॉक्सो की नॉलेज होना बेहद अनिवार्य हो गया है । विद्यालयी बच्चों को उनसे जुड़े क़ानून की जानकारी देने की जिम्मेदारी शिक्षा विभाग की बनती है ।
कई विद्यालय कर रहे हैं जागरूक -
उत्तराखंड के कई विद्यालय ऐसे भी हैं जहाँ वॉल पेंटिंग के माध्यम से पॉक्सो एक्ट अधिनियम की जानकारी दी जा रही है । विद्यालयों की इस पहल में चम्पावत जिले का राइंका रीठाखाल भी शुमार है , जहां वॉल पेंटिंग के माध्यम से पॉक्सो अधिनियम की जानकारी दी जा रही है ।