बदल रहा है पहाड़ , अब हमें बदलने की जरूरत है
(Report - uttarakhandhindisamachar.com)
अल्मोड़ा - आज से कई वर्षों पूर्व तमाम स्थानों पर आपने उत्तराखंड में इस बर्तन ( फ्वॉला ) को जरूर देखा होगा । ये पहाड़ का वाटर प्यूरीफाई है । जमाना बदल रहा है औऱ उसके साथ - साथ हमारा पहाड़ भी बदल रहा है । अब अल्मोड़ा में फ्वॉला बर्तन को नया रूप दिया जा रहा है । पहले तक इसे ऊपर से खुला रखा जाता था , जिसमें डंडी डालकर या फिर बर्तन झुकाकर पानी निकाला जाता था । लेकिन अब बदलते जमाने के साथ पहाड़ का ये वाटर प्यूरीफाई फ्वांला भी बदल चुका है । सदियों से अल्मोड़ा में फ्वांले खूब बनाए जाते हैं और अब इसमें ऊपर एक ढक्कन औऱ नीचे से पानी निकालने के लिए एक टौटीं लगा दी गई है । बेटी की विदाई में दिया जाता था फ्वांला -
शादी के बाद बेटी की विदाई में फ्वांला देने की परंपरा सदियों से चली आ रही है , ताकि बेटी साफ पानी पी सके । फ्वांला तो आज भी दिया जाता है लेकिन लोग उसका इस्तेमाल करना भूल गए हैं । घर के किसी कोने में बहुमूल्य और लाभदायक फ्वांले को रख दिया जाता है औऱ बीमारी की जड़ प्लास्टिक के बर्तनों में पानी पिया जाता है । हमेशा वैज्ञानिक सोच के साथ चली पहाड़ की परंपरा -
आज के वैज्ञानिक कहते हैं तांबे से बने बर्तन का पानी पीना स्वास्थ के लिए काफ़ी लाभदायक है । लेकिन हमारे पूर्वज इस बात को काफ़ी पहले ही जान चुके थे । बस आवश्यकता है , हमें पूर्वजों से मिले इस तोहफे को संजोकर रखने की । उत्तराखंड हिंदी समाचार आप सभी उत्तराखंड वासियों से अपील करता है कि , अपने जीवन में पूर्वजों के इस बर्तन फ्वॉले को वाटर प्यूरीफाई के रूप में प्रयोग जरूर करें । इसके साथ - साथ अपने संबंधियों , मित्रों औऱ मेहमानों फ्वांला भैंट करने की परंपरा दुबारा शुरू करें ।