सीएमओ ने कहा मॉडल जिले में स्वास्थ्य व्यावस्याओं को बनाया जाएगा भरोसेमंद
(Report - uttarakhandhindisamachar.com)
चम्पावत ( Champawat ) - मॉडल जिले में नवागत सीएमओ डॉ देवेश चौहान कह रहे हैं कि चम्पावत जिले की चिकित्सा एवं स्वास्थ्य व्यवस्थाओं में बुनियादी परिवर्तन आएगा । इसके साथ ही जिले में ऐसा माहौल पैदा किया जाएगा , जिससे जिले के चिकित्सालयों में लोग अधिक भरोषा कर सकेंगे । नवागत सीएमओ ने कहा , चम्पावत की चिकित्सा एवं स्वास्थ्य व्यवस्थाओं को मॉडल रूप देने के लिए हर स्तर पर हर संभव प्रयास किए जाएंगे ताकि आम जनमानस का सरकारी अस्पतालों पर विश्वास बढ़े तथा सरकारी अस्पतालों के माध्यम से ही लोगों को पूरी सुविधाएं मिल सकें । सरकार द्वारा लोगों के स्वास्थ्य व जीवन रक्षा के लिए सभी उपाय उपलब्ध किए गए हैं । यदि इसके बावजूद भी लोगों को क्यों और किन परिस्थितियों में सुविधाओं से वंचित रखा जा रहा है ? उन कमियों को दूर कर जिले की चिकित्सा व स्वास्थ्य व्यवस्थाओं को काफी प्रभावी व भरोसेमंद बनाया जाएगा । यह कहना है जिले के नवागत सीएमओ डॉ देवेश चौहान का । अपने पद का कार्यभार ग्रहण करने के बाद जिले में विभाग की नई कार्य संस्कृति से कार्य कर एक भरोसेमंद माहौल पैदा करने में लगे डॉ चौहान का कहना है कि मैं पहले कार्यालय एवं उसके बाद फील्ड विजिट कर व्यवस्थाओं का अध्ययन करने के बाद इस बात को सुनिश्चित करूंगा कि रोगियों को जिले से बाहर जाने की नौबत ही नहीं आएगी ।
डॉ चौहान का कहना है कि डॉक्टर को भगवान का दूसरा रूप माना जाता है , हमें कार्य व व्यवहार में इस भावनाओं को अपना कर कार्य करने से वैचारिक परिवर्तन लाना होगा । कर्मचारियों की हर समस्या का उनके स्तर से समाधान का पूरा प्रयास किया जाएगा । उन्हें भी यह सुनिश्चित करना होगा कि वह जिस कार्य के लिए उनकी नियुक्ति की गई है उनकी उपस्थिति का आम जनता को कितना लाभ मिल रहा है ? डॉ चौहान ने इस बात को भी स्पष्ट किया कि रोगियों के प्रति पूरी तरह जवाबदेह होने के बाद ही हम चिकित्सा पेशे की गरिमा व गौरव को बढ़ा सकते हैं । नवागत सीएमओ ने व्यवस्थाएं दुरुस्त करने की बात तो कह दी लेकिन जिले के लोग इन बातों पर विश्वास नहीं कर पा रहे हैं । क्योंकि आज जिले की स्वास्थ व्यवस्थाओं के हालात ऐसे चरमरा गए हैं कि लोगों को नए सीएमओ की बातों का सहसा विश्वास नहीं हो रहा है । जिले के लोग खराब स्वास्थ व्यवस्थाओं से इसकदर दुःखी हैं कि उन्हें किसी की भी बातों का विश्वास कर पाना बेहद मुश्किल हो रहा है । जिले के लोग ठीक उसी स्थिति में हैं जैसे , दूध का जला छांछ भी फूंक - फूंककर पीता है ।