पत्रकारों से अभद्रता कतई बर्दाश्त नहीं होगी
(Report - uttarakhandhindisamachar.com)
टनकपुर ( Tanakpur ) - पत्रकार प्रेस परिषद टनकपुर इकाई के पत्रकारों ने मुख्यमंत्री कैम्प कार्यालय जाकर मुख्यमंत्री के नोडल अधिकारी केदार सिंह को ज्ञापन दिया औऱ रुद्रपुर में कोतवाल द्वारा पत्रकार दीपक शर्मा के साथ की गई अभद्रता पर कोतवाल को निलंबित करने की मांग मुख्यमंत्री से की है । ज्ञापन में पत्रकारों ने कहा कि , रुद्रपुर कोतवाली में कवरेज के दौरान पत्रकार दीपक शर्मा के साथ लगातार दूसरी बार कोतवाल द्वारा अभद्रता की गई । पत्रकारों का कहना है , कोतवाल का ऐसा रवैया लोकतंत्र के चौथे स्तंभ के लिए खतरा है । पत्रकार प्रेस परिषद टनकपुर इकाई के अध्यक्ष नवीन भट्ट ने कहा , पत्रकारों का उत्पीड़न किसी भी सूरत में बर्दास्त नहीं किया जाएगा । इसीलिए उन्होंने शीघ्र कोतवाल को निलंबित करने की मांग की है । ज्ञापन देने वालों में नवीन भट्ट , पुष्कर मेहर , सूरी पंत , अमित जोशी और विनोद जोशी शामिल रहे । वाकई उत्तराखंड में पत्रकार सुरक्षित नहीं हैं -
जब - जब सरकार की योजनाओं को गांव - गांव , घर - घर औऱ जन - जन तक पहुंचाना हो , जब गावों की असल हकीकत सरकार तक पहुंचानी हो ताकि सरकार को ये मालूम हो सके कि आंखिर किस क्षेत्र पर अधिक कार्य करने की आवश्यकता है । तब तक पत्रकार लोकतंत्र का चौथा स्तंभ है , जब पत्रकार अपने हितों व अपनी सुरक्षा की मांग करता है तो उसे दरकिनार कर दिया जाता है । उत्तराखंड में पत्रकारों पर हो रहे हमलों का ग्राफ लगातार बढ़ता ही जा रहा है जो चिंता का विषय है । पत्रकारों को फोन पर जान से मारने की धमकी देना अब आम बात हो चुकी है , पाटिसेंड में पत्रकार पर हुआ हमला हो या फिर कोटद्वार में या फिर बात करें देहरादून के पत्रकारों को कट्टे से मारने की धमकी की । अब पत्रकारिता करना यानी समाज के लिए आवाज उठाने वाले पत्रकार खतरा महसूस करने लगे हैं । पीड़ित को न्याय दिलाने में अहम भूमिका निभाने वाले पत्रकार आज खुद न्याय की गुहार लगा रहे हैं और पुलिस स्टेशनों के चक्कर काट रहे हैं । सरकार को पत्रकारों की सुरक्षा के लिए नीति बनाने की बेहद आवश्यकता है ।समाज की आवाज उठाने वाले आज क्यों हैं अकेले -
समाज के हर तबके की आवाज उठाने वाले पत्रकार , सरकार की बात जनता तक पहुंचाने वाले पत्रकार , जनता की हर समस्या सरकार को बताने वाले पत्रकार , जनजागरूकता का संचार करने वाले पत्रकार , पीड़ित को न्याय दिलाने वाले पत्रकार आज अपनी सुरक्षा के प्रति चिंतित नजर आ रहे हैं । लोगों की हर लड़ाई में साथ रहने वाले पत्रकार आज अपनी लड़ाई अकेले लड़ रहे हैं । समाज की आवाज बुलंद करने वाले पत्रकारों के हितों की बात करने वाला कोई नहीं है । आज पत्रकारों को अपनी लड़ाई खुद लड़नी पड़ रही है , क्या ऐसे समय में समाज के लोगों की जिम्मेदारी नहीं बनती है कि वो पत्रकारों का साथ दे और उनकी सुरक्षा की मांग करे । आंखिर समाज की आवाज उठाने वाले आज क्यों हैं अकेले ?