बग्वाल : आज भी जिंदा है आठकोटा आगर , नौलखा सूपी की कहावत
(Report - uttarakhandhindisamachar.com)
चम्पावत ( Champawat ) - जिले के देवीधुरा में आयोजित होने वाली विश्वप्रसिद्ध बग्वाल यहाँ की अनूठी परंपरा और पौराणिक काल का जीवंत उदाहरण है । बग्वाल यानी पत्थर युद्ध खेलने वाले लोगों को बग्वाली वीर या रणबांकुरे कहा जाता है । ये रणबांकुरे बग्वाल से एक महीने पहले से खान - पान और आचार - विचार शुद्ध रखते हैं । घर में सबसे पहले उन्हें ही सात्विक भोजन कराया जाता है । बग्वाली वीरों को उनकी माँ बग्वाल युद्ध के लिए दूध पिलाकर भेजती हैं । बग्वाल के दौरान घरों में तवा देखना अपशगुन माना जाता है । इस दौरान घरों की सफाई की जाती है । बग्वाल के दौरान सभी बग्वाली वीर अपनी पोशाक में रहते हैं । खाम के मुखिया सबसे पहले , फिर अन्य बग्वाली वीर पीछे रहते हैं और ये बग्वाली वीर खाम प्रमुख को अपना सेनापति मानते हैं ।बग्वाल के दिन बग्वाल समाप्त होने तक उनके घरों में कोई भी व्यक्ति अन्न का एक दाना तक नहीं खाता । जब बग्वाल का समापन होता है तो सबसे पहले बग्वाली वीर को भोजन कराया जाता है फिर घर के अन्य सदस्य भोजन करते हैं ।आठकोटा आगर , नौलखा सूपी -
ये कहावत आज भी बग्वाल में प्रसिद्ध है ।आठकोटा आगर का अर्थ विरोधी खाम के आठ दुर्ग तोड़ने में अकेले आगर गांव के वीर काफी होते हैं । और नौलखा सूपी का अर्थ - जाबाजों का मुकाबला करने के लिए सूपी गांव के रणबांकुरे सक्षम होते हैं । बताया जाता है इन गावों के बग्वाली वीर काफी खतरनाक युद्ध शैली में दक्ष होते हैं । अगर आम जीवन में देखा जाय तो इन गावों के लोग बेहद सरल , सभ्य और कोमल हृदय के हैं ।अगर आपने बग्वाल नहीं देखी तो नीचे दिए गए लिंक टच करें -
https://youtu.be/qnNKpEdymQE?si=FRY8adzkZu0xwZ4W