1962 , 65 और 71 के विंग कमांडर पायलट बाबा नहीं रहे
(Report - uttarakhandhindisamachar.com)
हरिद्वार ( Haridwar ) - सन 1962 , 1965 औऱ 1971 युद्ध के भारतीय वायुसेना के विंग कमांडर पायलट बाबा का मुम्बई के एक अस्पताल में निधन हो गया । बाबा 1974 में विधिवत दीक्षा लेकर जूना अखाड़े में शामिल हुए थे और उन्होंने संन्यास ग्रहण किया था । वो हरिद्वार के जूना अखाड़े के वरिष्ठ महामंडलेश्वर थे । उनकी मृत्यु के बाद संत समाज व जूना अखाड़े में शोक की लहर है । जूना अखाड़े के अंतरराष्ट्रीय संरक्षक श्री महंत हरि गिरी महाराज के निर्देश पर जूना अखाड़े की सभी शाखाओं व मुख्य पीठ पर तीन दिन का शोक घोषित किया गया है । पायलट बाबा 1998 में महामंडलेश्वर पद पर आसीन हुए थे और 2010 में उज्जैन में प्राचीन जूना अखाड़ा शिव गिरी आश्रम नीलकंठ मंदिर में अखाड़े के पीठाधीश्वर पद पर रहे ।तीन युद्धों में लिया था भाग -
पायलट बाबा ने देश सेवा में अपना जीवन खपा दिया । वो 1962 , 1965 और 1971 के युद्ध में भारतीय वायुसेना में विंग कमांडर की भूमिका में थे । कहा जाता है संन्यास के बाद भी जब - जब भारतीय सीमाओं में घुसपैठ व आतंकी हमले होते थे तो उनका खून देश सेवा के लिए हिलोरे मारने लगता था । और वो कहते थे कि , अगर उन्हें अब भी मौका दिया जाय तो वो हमेशा दुश्मनों को धूल चटाने के लिए तैयार हैं । उनकी अंतिम इच्छा होगी पूरी -
पायलट बाबा की अंतिम इच्छा थी कि , उन्हें उत्तराखंड की पावन भूमि में समाधि दी जाय । उनकी अंतिम इच्छा के अनुसार उन्हें उत्तराखंड की पावन भूमि में समाधि दी जा रही है । उन्हें समाधि देने के लिए जूना अखाड़े के सभी पदाधिकारी , वरिष्ठ संत और महामंडलेश्वर पहुंचेंगे ।