आस्था , संस्कृति एवं आपसी मेलजोल का संगम है एड़ी बालकृष्ण मेला
(Report - uttarakhandhindisamachar.com)
बग्वाल मेले में मां वाराही की शोभायात्रा निकालने के बाद यहां शुरू हो जाती है मेले की तैयारियां ।
चम्पावत ( Champawat ) - के लधियाघाटी क्षेत्र में बांज और चीड़ वनी की गोद में बसे भिंगराड़ा का एड़ी बालकृष्ण मेला दो ऐसे दोस्तों की सोच का परिणाम है जिन्होंने इस स्थान में आस्था , संस्कृति एवं लोगों में मेलजोल बढ़ाने के लिए ऐसी पहल की जो आज विशाल मेले के रूप में सामने आई है । कहा जाता है , जब एड़ी ब्यानधुरा से शक्ति फटकर फटकशिला मंदिर आई थी तो शक्ति ने मार्ग में भिंगराड़ा स्थान में विश्राम किया था । बाद में यह स्थान एड़ी के उपासकों के लिए भव्य व दिव्य स्थान बन गया । फिर यहाँ यहां बाज के पेड़ के नीचे शक्ति की पूजा होने लगी । तब भिंगराड़ा में बालकृष्ण भट्ट नाम के रेंजर आए और उनके विचार यहां के प्रमुख समाजसेवी हरि दत्त भट्ट से मिलते थे । दोनों में गहरी दोस्ती हो गई । उन्होंने आपस में विचार किया कि , क्यों न जन्माष्टमी के अवसर पर यहां तीन दिनी मेला आयोजित किया जाए । जो यहाँ के लोगों की आस्था को तो बढ़ाएगा ही इसके साथ - साथ आपसी मेलजोल भी बढ़ेगा । लोगों का सहयोग मिला और वर्ष 1980 में मेले की शुरुआत की गई । मेले में विभिन्न स्थानों से लोक कलाकार , गायक बुलाए गए । पहले वर्ष में ही इस मेले ने व्यापारिक रूप ले लिया और इसके आयोजकों का उत्साह काफी बढ़ गया । इस कार्य में वन कर्मियों ने भी अपना पूरा सहयोग दिया । लधियाघाटी क्षेत्र में अन्य कोई मेला ना होने के कारण इस मेले को काफी ख्याति मिलने लगी । लोगों ने इस स्थान में चबूतरा बनाया और पंडित हरि दत्त भट्ट ने अपनी ओर से यहां बजरंगबली की तथा वन कर्मियों व क्षेत्रीय लोगों के सहयोग से राधा कृष्ण की मूर्तियां स्थापित की गई । तब से प्रतिवर्ष जन्माष्टमी के अवसर पर यहां तीन दिनी मेला आयोजित होता आ रहा है । अब मेले के दौरान स्कूली बच्चों की अनेक प्रतियोगिता भी होती है । इस वर्ष मेला 25 अगस्त से शुरू होगा । मेले में आने वाले लोगों को सुविधा दिए जाने हेतु क्षेत्रीय लोग मेले की व्यवस्था सरकारी तौर पर करने की लगातार मांग करते आ रहे हैं । इस बार मेले को लेकर यहां के मंदिर को फूलों से सजाया गया है । मेले की शुभारंभ की प्रेरणा रेंजर बाल कृष्ण द्वारा की गई थी , तब से इस मेले के आयोजन में यहां के रेंजर तथा अन्य वन कर्मि लगातार मेले के आयोजन में सहयोग करते आ रहे हैं । वर्तमान में यहां के रेंजर हिमालय सिंह टोलिया तथा उनके वन कर्मी मेले के आयोजन में अपना पूरा सहयोग दे रहे हैं ।
फोटो - भिगराडां का एडीं बाल कृष्ण मंदिर ।