चीड़ के बाद अब बांज , काफल के जंगल भी धधकने लगे हैं
(Report - uttarakhandhindisamachar.com)
चिंता : चीड़ के बाद अब बांज , काफल के जंगल भी धधकने लगे हैं
● प्रदूषण से उत्तराखंड के पहाड़ों में अब नहीं दिख रहे हैं तारे
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रिपोर्ट - Uttarakhandhindisamachar.com
उत्तराखंड - प्रदेश की धड़कन यहां के जंगल धधकने का सिलसिला लगातार जारी है । कुछ समय पूर्व तक यहाँ के पहाड़ सुलग रहे थे लेकिन कुछ ही वर्षों में अब यहाँ के पहाड़ धधकने लगे हैं । उत्तराखंड के जंगल लगातार धधक रहे हैं जिससे यहाँ की वन संपदा , जीव जंतु औऱ यहाँ के लोग बुरी तरह प्रभावित हो रहे हैं । चीड़ के बाद अब बांज , काफल के जंगलों में भी आग फैलने लगी है जो स्थानीय ग्रामीणों के घरों तक पहुंच रही है । आप तस्वीर में साफ देख सकते हैं कि एक युवा बांज के जंगलों में लगी आग तो घरों तक पहुंचने से रोकने के लिए पानी का छिड़काव कर रहा है । उत्तराखंड के तमाम स्थान ऐसे भी हैं जहाँ जंगलों में इतनी आग लगी है कि आसपास की वादियों में धुंध फैल चुकी है , जिससे अब आसमान के तारे भी दिखाई देना बंद हो गए हैं । एक ओर जहाँ आग की बढ़ती घटनाओं से पर्यावरण को हो रहे नुकसान को देखकर पर्यावरण प्रेमी चिंतित नजर आ रहे हैं ठीक उसके विपरीत जंगलों में आग लगाने वाले अराजक तत्व अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहे हैं । आग की घटनाएं इतनी बढ़ चुकी हैं कि प्रशासन हपड़ - तपड़ में है । लगातार आग की बढ़ती घटनाएं सरकार की पूर्व तैयारियां की पोल खोल रही है । अब पहाड़ों के हालात ऐसे हो चुके हैं कि फेफड़ों के मरीजों के लिए यहाँ की आबोहवा खतरनाक साबित हो रही है । आंखों में जलन होना अब यहाँ आम बात हो चुकी है । अगर उत्तराखंड के पर्यावरण , नदियों औऱ यहाँ की प्राकृतिक सुंदरता हो बचाना है तो यहाँ के जंगलों को बचाना होगा । औऱ अगर यहाँ के जंगलों को बचाना है तो चीड़ के बदले चौड़ी पत्ती के जंगलों का विकास करना होगा । बस इसके लिए आवश्यकता है दृढ़ इच्छाशक्ति औऱ सरकार की जंगल बचाने के लिए बनने वाली नीतियों में संशोधन की ।