जानिए , 7 साल बाद नौकरी से कैसे निकाला 5500 लोगों को
(Report - uttarakhandhindisamachar.com)
गाँव - गाँव साक्षर बनाने के बाद निकाल दिया नौकरी से
उत्तराखंड ( Uttarakhand ) - में प्रत्येक ग्राम पंचायत स्तर पर साक्षर भारत मिशन के तहत असाक्षरों को साक्षर करने के लिए वर्ष 2010 में दो शिक्षा प्रेरकों की नियुक्ति की गई थी । जिनका मानदेय 2 हजार रुपये प्रतिमाह रखा गया था । जिसमें प्रेरकों ने अपनी बेहतरीन कार्यप्रणाली के बलबूते समूचे प्रदेश में शिक्षा का स्तर आंकड़ों में दर्शाने लायक बना दिया । गातव्य हो कि शिक्षा प्रेरकों की मेहनत और लगन के चलते ही आज उत्तराखंड के शिक्षा प्रतिशत को मुकाम मिल पाया है । राज्य का शिक्षा प्रतिशत बढ़ते ही इन शिक्षा प्रेरकों को बोनस और इनकी नौकरी में विस्तार करने के बजाय सरकार ने असाक्षर लोगों को घर - घर जाकर अक्षरज्ञान देने वाले इन शिक्षकों को 7 वर्ष सेवा देने के बाद नौकरी से निकाल दिया गया । प्रेरकों को नौकरी से निकाले हुए सालों बीत गए लेकिन आज भी शिक्षा प्रेरक सरकार से खफा हैं । मात्र 67 रुपये प्रतिदिन मानदेय पर लगन से कार्य करने वाले इन शिक्षा प्रेरकों से सरकार ने नियमितीकरण की बात की । मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी प्रेरकों के हितों के विषय में व उनके समायोजन करने की बात कही थी लेकिन ये बातें सब हवा - हवाई साबित हो गई । सरकार ने नियमितीकरण की बात करते हुए प्रेरकों से मात्र 67 रुपये प्रतिदिन में बीएलओ ड्यूटी , बाल गणना , जनगणना , बीपीएल सर्वे सहित तमाम अन्य कार्य भी करवाए । नियमितीकरण की बात सुनकर शिक्षा प्रेरकों ने सभी कार्य लगन के साथ पूरे किए । लेकिन प्रेरक सरकार की मंशा को समझ नहीं पाए । औऱ सरकार ने शिक्षा प्रेरकों को नियमित करने के बजाय नौकरी से निकाल दिया । शिक्षा प्रेरकों का कहना है सरकार ने उन्हें नौकरी से हटाया है जिसका परिणाम उन्हें उपचुनाव में भुगतना पड़ रहा है । उनने कहा , सरकार ये न समझे कि शिक्षा प्रेरकों का मामला अब ठंडे बस्ते में चला गया है । ये सरकार की सबसे बड़ी भूल है , समय बदल रहा है और शिक्षा प्रेरक सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए अपने - अपने स्तर से कार्य में जुटे हुए हैं । औऱ एक दिन ऐसा होगा कि , सरकार को प्रेरकों को नौकरी से हटाने के फैसले पर पछताना होगा । अगर सरकार ऐसा नहीं चाहती है तो , अब भी शिक्षा प्रेरकों को शिक्षा विभाग या किसी अन्य विभाग में नियमित नौकरी दे । नहीं तो आने वाले हर चुनाव में सरकार को मुंह की खानी पड़ेगी ।आंखिर कितना है शिक्षा प्रेरकों की बात में दम -
सरकार ने शिक्षा प्रेरकों को नौकरी से हटा दिया लेकिन भी शिक्षा प्रेरकों का संगठन आज भी जिंदा है । आज भी शिक्षा प्रेरक व्हाट्सएप ग्रुप पर चर्चा करते रहते हैं । उनका कहना है , उन्हें हटाने का खामियाजा सरकार उपचुनाव में भुगत रही है और भविष्य में भी भुगतेगी । उनका कहना है सरकार की नींव कमजोर पड़ने लगी है । आंखिरकार शिक्षा प्रेरकों की इस बात पर काफी दम नजर आ रहा है , बीएलओ ड्यूटी , बीपीएल सर्वे , बाल गणना व घर - घर जाकर असाक्षरों को साक्षर करने वाले शिक्षा प्रेरकों का गाँव - गाँव में जबरदस्त सम्पर्क व पकड़ होने के कारण प्रेरकों की इस हुँकार में काफी दम भी नजर आ रहा है । औऱ तमाम राजनीतिज्ञों ने इस बात को स्वीकार भी लिया है कि सरकार पहले की अपेक्षा काफी कमजोर हुई है ।क्या कहते थे मुख्यमंत्री धामी -
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा था कि शिक्षा प्रेरक हमारे बीच आते हैं और अपनी बात रखते हैं । हम शिक्षा प्रेरकों के लिए भी सोच रहे हैं कि कैसे उनका समायोजन किया जाए । लेकिन ये बातें सिर्फ भाषणों में देखने को मिली और प्रदेश के शिक्षा प्रेरकों को एक झटके में नौकरी से हटा दिया गया । अब मुख्यमंत्री का ये वीडियो खूब वायरल हो रहा है । वीडियो देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर टच करें -
https://youtu.be/ErBKhkoKbkQ?si=bWTtjb5i49ZFmbBw