किसानों को मालामाल करने का उठाया बीड़ा
(Report - uttarakhandhindisamachar.com)
खेती व बागवानी से निराश किसानों में आशा की किरण बनती जा रही है कीवी की खेती ।
हिमांचाल की तर्ज पर अब किसानों को केवीके में ही मिलने लगा है प्रशिक्षण ।
चम्पावत ( Champawat ) - कीवी की व्यावसायिक खेती से किसानों को मालामाल करने के लिए कृषि विज्ञान केंद्र लोहाघाट ने बीड़ा उठा लिया है । पहले यहां डेलीशियस सेब के बाग लगे रहते थे लेकिन मौसम परिवर्तन के बाद अब किसानों को कीवी की खेती ने नई आस जगाई है । कीवी ऐसा फल है जिसे जंगली जानवर कोई नुकसान नहीं पहुंचाहते हैं । इसमें औषधीय गुण होने के साथ इसकी काफी मार्केट वैल्यू है । अब यहाँ के किसान इस कार्य में काफी रुचि ले रहे हैं ।कृषि विज्ञान केंद्र लोहाघाट में इस कार्यक्रम को परवान पर चढ़ा रही उद्यान वैज्ञानिक डॉ रजनी पंत ने किसानों को कीवी की पौध लगाने से लेकर फल देने तक का पूरा प्रशिक्षण दिया । इस प्रशिक्षण की खास विशेषता है , इसमें जिले के विभिन्न क्षेत्र से आए किसानों ने न केवल काफी दिलचस्पी ली बल्कि आपस में सहयोग व समन्वय स्थापित कर इसकी मार्केटिंग के लिए भी स्वयं पहल करने की योजना बनाई है । मालूम हो कि डॉ पंत द्वारा पिछले दो वर्षों से क्षेत्र में कीवी के उत्पादन का किसानों में नया शौक पैदा किया है । उनका कहना था कि किसान खेत से जुड़कर कीवी से अपना भाग्य बदल सकते हैं । शुरुआती तौर पर यहां पर कीवी के नए बगीचे जो अब फल देने लगे है इससे प्रोत्साहित होकर अन्य किसान भी अब कीवी की व्यवसायिक खेती करने के लिए आगे आ रहे हैं । के वी के में किसानों के हुए चार दिवसीय प्रशिक्षण में उन्हें कीवी की पौधे से पौध तैयार करना , कटाई व छटाई का ऐसा प्रशिक्षण दिया गया जिससे किसान न केवल इसका उत्पादन कर सके बल्कि अतिरिक्त आय अर्जित कर सके । कीवी के एक पौध की कीमत लगभग ₹270 है । जबकि एक पूर्ण वयस्क पौधे से लगभग 40 से 70 किलो तक फल का उत्पादन किया जा सकता है । मार्केट में कीवी फल ₹350 प्रति किलो बिकती है । प्रशिक्षण में भाग लेने आए प्रगतिशील किसान प्रदीप जोशी , केदार जोशी , कमल गिरी , मोहन पाण्डे , कैलाश महर , सौरभ पाण्डे , शिवराज सिंह , नाथ सिंह , देवेंद्र , गंगादत्त जोशी आदि का कहना था की युवा वैज्ञानिक डॉ पंत ने तो उनकी आंखे खोल दी हैं । किसानों को यदि इसी प्रकार की तकनीकी व व्यवहारिक जानकारी मिलती रहे तो कीवी का उत्पादन ग्रामीण अर्थव्यवस्था को और मजबूती देगा । किसानों ने इस बात पर प्रशंसा व्यक्त की कि यहां सब्जी उत्पादन की नई तकनीक बताने वाले डॉ ए के सिंह के जाने के बाद पहली बार डॉ पंत द्वारा डॉ सिंह की स्टाइल पर उन्हें प्रशिक्षण मिला है । जिस प्रशिक्षण के लिए किसान हिमांचल जाते थे , वैसा ही प्रशिक्षण अब किसानों को यहां मिलने लगा है ।