जानिए , आंखिर क्या है भेड़ू कू तमाशू मेला
(Report - uttarakhandhindisamachar.com)
रिपोर्ट - बालकराम नौटियाल
उत्तरकाशी ( Uttarkashi ) - जिले के सुदूर वरुणाघाटी स्थित डांडी कमद क्षेत्र में हर तीसरे साल भेड़ू कू तमाशू यानी भेड़ों का तमाशा मेला मनाया जाता है । इस दिन भेड़ पालक अपनी सैकड़ों भेड़ों को बुग्यालों से लेकर उपरिकोट गांव के समेश्वर देवता मंदिर में पहुंचते हैं । यहाँ भगवान समेश्वर की विधिवत पूजा अर्चना के बाद भेड़ पालक भेड़ बकरियों की वृद्धि और समृद्धि की कामना करते हैं । कैबिनेट मंत्री सौरभ बहुगुणा ने कहा -
उत्तराखंड के मेले हमारी समृद्धि , सांस्कृतिक परंपराओं के जीवंत प्रतीक हैं । उत्तरकाशी जिले के सुदूर डांडी - कमद क्षेत्र के लोगों ने भेड़ू कू तमाशू जैसी परंपरा के जरिए अपनी सांस्कृतिक विरासत को सहेज कर रखा हैै जो सराहनीय और अनुकरणीय है । प्रदेश के पशुपालन , दुग्ध विकास , मत्स्य पालन , गन्ना विकास एवं चीनी उद्योग , प्रोटोकॉल , कौशल विकास एवं सेवायोजन मंत्री सौरभ बहुगुणा गाजणा क्षेत्र के दूरस्थ ठांडी गांव में आयोजित पशुपालन की समृद्ध पंरपरा एवं संस्कृति से जुड़े भेड़ू कू तमाशू मेले के त्रैवार्षिक आयोजन के समापन समारोह में बतौर मुख्य अतिथि थे । बहुगुणा ने कहा कि भेड़ - बकरी पालन को बढावा देने के लिए सरकार के द्वारा गोट वैली योजना संचालित कर पांच बकरी खरीदने वाले लाभार्थी को सरकार के द्वारा दस बकरी एवं एक बकरा उपलब्ध कराने की व्यवस्था की गई है । इसी तरह नस्ल सुधार के लिए आस्ट्रेलिया से आयातित नर मेरिनो भेड़ भेड़पालकों को 80 प्रतिशत अनुदान पर उपलब्ध कराई जा रही है । आज भी मेले के समापन पर हजारों भेड़ों के साथ यह अनूठी परंपरा निभाई गई । पशुपालन मंत्री ने इस मौके पर भेड़ों की आगवानी करने के साथ ही मंदिर में पूजा - अर्चना की । इस मौके पर देव डोलियों व निशानों के नृत्य के साथ ही पारंपरिक लोकनृत्यों का आयोजन भी किया गया । जिले के गाजणा , धनारी व नाल्ड कूठड़ पट्टी के गांवों के साथ ही टिहरी जिले के थाती कठूड़ , आरगढ , गोनगड , उपली रमोली आदि पट्टियों के हजारों ग्रामीण इस मेले में भाग लेने के लिए पहॅुंचे थे ।