चम्पावत में रिवर्स पलायन लेकिन नहीं मिला पानी
(Report - uttarakhandhindisamachar.com)
चम्पावत ( Champawat ) - जिले के खूना बलाई गांव में प्रवासी पूर्व सैनिक प्रहलाद सिंह ने कोरोना काल में गांव की ओर रूख किया । चंडीगढ़ में रहने वाले पूर्व सैनिक ने गांव लौटने का पूरा मन बना लिया और गांव में नया घर भी बनाया । गांव वापसी के बाद पूर्व सैनिक काफ़ी खुश थे और यहीं रमने लग गए । लेकिन कुछ समय बाद पेयजल विभाग ने उन्हें झटके देना शुरू कर दिया । उन्होंने अब जल संस्थान पर तमाम अनियमितताओं का आरोप लगाया है । यहाँ ग्रामीण ने समस्याओं की जानकारी विभाग को दी लेकिन उन पर अमल नहीं हुआ । जलसंस्थान को लगाई गुहार तो नहीं हुई समस्या हल -
पूर्व सैनिक ने जलसंस्थान को पत्र दिया और अपनी समस्या बताई लेकिन विभाग ने ग्रामीण की समस्या को तवज्जो नहीं दी । विभाग को दिए पत्र के मुताबिक गांव में बने अंतिम पानी के टैंक से 24 घंटे पानी बहता रहता है । जिसका उपयोग करने वाला कोई भी नहीं है । लगातार बह रहा पानी पूर्व सैनिक के घर की दीवार को खतरा पैदा कर रहा है । पूर्व सैनिक प्रहलाद सिंह ने इस टैंक की सप्लाई बंद करने और उसके स्थान पर सिर्फ एक कनेक्शन रखने की मांग की है ताकि बर्बाद हो रहे पानी का सदुपयोग हो सके और उनके घर के लिए खतरा भी पैदा न हो । पुरानी लाइन काटकर दिया नया कनेक्शन लेकिन नहीं आता पानी -
पूर्व सैनिक ने कहा उन्हें बरसों पुरानी पेयजल लाइन का कनेक्शन काटकर जल जीवन मिशन के तहत नया कनेक्शन दिया गया है , जिसमें पानी नहीं आता । जिसके चलते पूर्व सैनिक गाड़ गधेरों से पानी पीने को मजबूर हो गए हैं । बिडंबना है कि , घर के सामने 24 घंटे बहता पानी का टैंक उनके मकान के लिए खतरा तो पैदा कर रहा है लेकिन उनकी प्यास नहीं बुझा सकता । मालूम नहीं था रिवर्स पलायन का ऐसा होगा स्वागत -
पूर्व सैनिक ने उत्तराखंड हिंदी समाचार से बात करते हुए निराश होकर कहा कि , हमें मालूम नहीं था कि रिवर्स पलायन का चम्पावत जिले में ऐसा स्वागत होगा । पूर्व सैनिक ने कहा , सरकार कहती थी हम प्रवासी लोगों को हर वो सुविधा मुहैय्या कराएंगे जिसकी उन्हें आवश्यकता होगी । लेकिन आज मालूम हुआ कि सरकार की बातें खोखली थी । पूर्व सैनिक ने कहा कि , सरकार पलायन रोकने और रिवर्स पलायन का स्वागत करने की बात कहती थी लेकिन जहाँ पीने को पानी नसीब न हो ऐसे स्थान में कौन वापसी करना चाहेगा । फिर शहरों की ओर जाना चाहते हैं पूर्व सैनिक -
बातचीत में पूर्व सैनिक ने बताया अगर उनकी इन दो समस्याओं का समाधान जल्दी नहीं होता है तो उन्हें फिर दुबारा सब - कुछ छोड़कर शहरों की ओर रूख करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा । अगर ऐसा हुआ तो उठेंगे कई सवाल -
अगर पूर्व सैनिक पानी की समस्या की वजह से फिर पलायन करते हैं तो मॉडल जिले पर कई सवाल जरूर उठेंगे । संबंधित विभाग की सुस्त चाल पर एक बार फिर सबकी नजरें रहेंगी । जिले में वापस आए पलायन को न रोक पाने की बात प्रदेश स्तर में जरूर होगी और जिक्र मुख्यमंत्री की परिकल्पनाओं के मॉडल जिले का भी होगा । उत्तराखंड हिंदी समाचार भी इस पर ये देखने के लिए नजरें बनाए हुए है कि आंखिर पूर्व सैनिक को सुविधाएं मिलती हैं या फिर संबंधित विभाग सरकार की पलायन रोकने की मुहिम पर बट्टा लगाता है ।